.... तो इस लिए मनाई जाती है तीज ! आइये जानें।
गांव-कस्बा हो या मेट्रो शहर, त्योहारों की धूम तो हर जगह रहती है। वैसे भी जब मौसम हो त्योहारों के शुरू का तो जोश और उत्साह बढ़ जाता है।
तीज की त्योहारों धूम भी इन दिनों हर जगह मची होती है। महिलाएँ जोर-शोर से तीज की तैयारी कर रही है। तीज त्योहारों पर भी आधुनिकता की मार पड़ गई है लेकिन आधुनिकता ने इसके उत्साह में कोई कमी नहीं की है। बेशक वक्त की कमी के चलते कभी सामूहिक तौर पर मनाया जाने वाला यह त्यौहार अब घरो के भीतर तक सिमट गया है।अपने बचपन के दिनों में मनाई जाने वाली तीज कीयाद करते हुए सुनीता बताती है की पहले सावन लगते ही तीज की तैयारियां शुरू हो जाती थी। महिलाएँ सेवइया तोड़ने लगती थी। तीज महिलाओं की मौज-मस्ती का त्यौहार होता था।
हालाँकि तीज को लेकर कामकाजी महिलाओं के उत्साह में आज भी कोई कमी नहीं है वक्त की कमी के चलते जवे तोडना जैसे काम अब वे खुद नहीं कर पति। अब हर कोई अपने परिवार में है इस त्यौहार को मनाता है। झूले की बात करे तो बदलते दौर में झूलो की स्टाइल में कई परिवर्तन आए है। आज भी सावन के मौके पर अनेक स्थानों पर झूलो सजते है और महिलाये झूला भी झूलती है। फर्क सिर्फ इतना है की पहले इन त्योहारों को मानाने में लिए वक्त की कोई कमी नहीं थी।
कच्चे नीम निम्बोली... सावन जल्दी आइयो रे... हरियाली का यह लोकगीत तीज के मौके पर शहर और गाँव में रह रही बुजुर्ग महिलाओं की जुबान पर रहता है। बाजार में भी इन दिनों हरियाली तीज के आने की रौनक देखी जा सकती है। तीज के उपहारों और जरुरी सामान के खरीदारों का उत्साह देखते ही बनता है। सावन में पड़ने वाली इस तीज का नई नवेली दुल्हनों ही नहीं,बड़ी बूढी महिलायें भी बेसब्री से इंतजार करती है। तीज को झूला का उत्सव भी कहा जाता है। न सिर्फ गांव में बल्कि शहरो में भी झूले डालने की तयारी शुरू हो जाती है। शहरो में तो तीज को लेकर अनेक जगहों पर तरह तरह के आयोजन और समारोह भी होते है जहाँ महिलाओ के लिए मेहंदी, चुड़िया, साज-श्रृंगार के सामान और झूला की खास व्यवस्था रहती है।
तीज की तैयारियां की वैट करें तो महिलाएँ घरो की सफाई के साथ-साथ साज-श्रृंगार का भी पूरा बंदोबस्त कर लेती है। साथ ही, तीज पर गाए जाने वाली गीत भी महिलायें एकत्रित होकर गाती है। इन गीतों में कही भाई-बहन का प्यार झलकता है तो कही सास-बहु की नोक-झोक और कही पिया से मिलान की कामना।
इस त्योहारों पर महिलाओ के मायके से ससुराल में कोथली ले जाने ले जानी की भी परम्परा है जिसमे भाईअपनी बहन के लिए मेहँदी,चूड़ियाँ मीठी सुलाही,घेवर और मिठाईया आदि लेकर जाते है जिसके आने का बहन को भी बेसब्री से इंतजार रहता है। इस मौके पर सास भी अपनी बहुओं को सिंघोरा देती है जिसके लिए तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है.
भारत का त्योहारों का देश कहा जाता है. हर मौसम आपने साथ कई त्यौहार साथ लेकर आता है. सावन का महीना भी कई त्यौहार लेकर आता है जिसमे से खास है हरियाली तीज हरियाली तीज जैसा की नाम से ही जाहिर है मौसम में हरियाली की शुरआत करने वाला त्यौहार।
2018 hariyali teej vrat date
इस वर्ष हरियाली तीज 13 सितम्बर को पड़ रहा है
हरियाली तीज कब मनाई जाती है ?
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि को विवाहित महिलाएं हरियाली तीज के रूप में मानती है यह समय है जब प्राकृतिक भी अपने पुरे शबाब में होती है, बरसात का मौसम अपने चरम पर होता है और प्राकृतिक में सभी ओर हरियाली होती है जो इसकी खूबसूरती को दोगुना कर देती है इसी कारन से इस त्यौहार की हरियाली तीज कहते है.
कौन करती है हरियाली तीज ?
इस व्रत को अविवाहित कन्याए योग्य वर को पाने के लिए करती है. विवाहित महिलाये इसे अपने सुखी और लंबे विवाहित जीवन के लिए करती है.
हरियाली तीज की कथा ( story of hariyali teej in hindi )
किंवंदति है की पुरातन समय में देवी पार्वती एक बार अपने पति भगवन शिव से दूर प्रेम विरह की गहरी पीड़ा से व्याकुल थीं इस तड़प के कारण देवी पार्वती ने इस व्रत को किया था पार्वती जी इस दिन पति परमेश्वर के प्रेम में इतनी लीन हो गई की उन्हें न खाने की सुध रही और न पिने की इस तरह वह पुर 24 घंटे व्रत रही और इस व्रत के फल के रूप में उन्हें अपने पति का साथ पुनः प्राप्त हुआ. तब से इस दिन स्त्रिया अपने सुहाग के लिए उपवास रखकर मनोकामनाये पूरी होने का आशीर्वाद मांगती है.
इस त्यौहार मेंज्यादातर महिलाएं कुछ भी ठोस खाना नहीं खाती है कुछ धार्मिक प्राकृती की महिलाएं इस दिन पानी भी नहीं पीती है. इस व्रत में सुबह स्नान के बाद भगवन शिव और पार्वती जी की पूजा करती है, पुरे दिन भजन गाती है तथा हरीतिलिका व्रत की कथा को सुनती है कुछ जगहों पर महिलाओ माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से नहाती है. ऐसी मान्यता है की ऐसी करने से महिलाये पूरी तरह से शुद्ध है हो जाती है कई जगह इस दिन झूला झूलने की भी परम्परा है. हरियाली तीज भारतीय शादी की परंपरा में पत्नी के महत्व को दर्शता है। आज चाहे इस त्यौहार में कितना भी आधुनिक रंग मिल गया हो लेकिन इस पर्व की निष्ठा और इसे करने वालों की भक्ति में कोई कमी नहीं आई है.
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