Maha Shivratri 2021 महाशिवरात्रि कब है ? जानिए शुभ मुहूर्त, विशेषताए, पूजा विधि और महाशिवरात्रि से जुडी पौराणिक कथाएं |
सारांश :-
- महा शिवरात्रि का रहस्य
- महाशिवरात्रि की महत्व
- महाशिवरात्रि 2021 : Date , शुभ मुर्हुत
- महाशिवरात्रि की पूजन सामग्री
- महाशिवरात्रि पूजा करते समय किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए
- पूजा का समय
- महाशिवरात्रि से जुडी पौराणिक कथाएं
महाशिवरात्रि की रहस्य/ महत्व
नमस्कार दोस्तों ! महाशिवरात्री एक पावन पर्व है | ये पावन पर्व क्यों मनाया जाता है ? क्यों मनाते है ? महाशिवरात्रि अगर अब ये जानना चाहते है | ये आर्टिकल आपके लिए है शिवरात्रि का अर्थ वह रात्री है . जिसका शिव तत्व के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है जो रात्रि भागवान शिव जी अति प्रिये है उस रात्रि को महाशिवरात्रि कहते है | शिवार्चन एवं जागरण ही इन पर्व की विशेषता है इसमें रात्रि भर जागरण एवं शिवाभिषेक का विधान है | माता पार्वती जी की जिज्ञाशा पर भागवान शिवजी ने बातया की फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी के दिन जो उपवाश करता है वह मुझे प्रसन्न कर लेता है|
मै अविषेक वस्त्र धुप और अर्चन तथा पुष्पादि समर्पण से उतना प्रसन्न नही होता हूँ जितना व्रातोपास से होता हूं इसांसहिता में बताया गया की फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्री को आधिदेव भागवान श्री शिव कोरोधोव सुर्योम के समानं प्रभाव वाले रिंग रूप में प्रकट हुए थे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में चन्द्रमा सूर्य की समीप होती है अतः उसी समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिव रूपी सूर्य के साथ योग्य मिलन होता है| अतः इस चतुर्दशी को शिव पूजा करने से जिव अभिष्टम पदार्थ की प्राप्ति होती है| यही शिवरात्रि की रहस्य है |
महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा के दिव्य अवतरण का सुचक है|उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्री ही महाशिवरात्रि कहलाती है | वह हमे काम क्रोध लोभ विकारो से मुक्त करके परमसुख शांति एश्वर्या इत्यादी प्रदान करते शिवरात्रि पर चार प्रहर में चार बार पूजा का विधान है | इसमें शिवजी को पंचामृत से स्नान कराकर अक्षत चन्दन पुष्पादि से श्रृगार कर आरती करनी चाहिए रात्रि भर जागकर तथा पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए | रुद्राभिषेक रुद्राध्यायी तथा रुद्री पाठ का भी बिधान है.
महाशिवरात्रि की महत्व
शिव रात्रि तो हर महीने आती है लेकिन महा शिवरात्रि तो साल में एक बार ही आती है | महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है की ये शिव और शक्ति का मिलन की रत है | आध्यात्मिक रूप से इसे प्राकृतिक और पुरुष के मिलन की रत के रूप में बातया जाता है |शिव भक्त इसी दिन व्रत रख कर अपने अराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते है | मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम चलता है
महाशिवरात्रि 2021 : Date , शुभ मुर्हुत
महाशिवरात्रि की तिथि - 11 मार्च गुरुवार 2021
निशिता काल पूजा समय - (12:02 AM से 12:50 AM )
पहला प्रहर :- 11 March - (06:27 AM से ०9:29 AM )
दूसरा पहर :- 11 March - (०9:29 AM से 12:31 PM )
तीसरा प्रहर :- 11 March - ( 12:31 PM से 03:32 PM)
चौथा प्रहर : - 12 March - ( 03:27 AM से 06:32AM
महाशिवरात्रि पारण मुर्हुत - (06:27 AM से 3:02 PM )
महाशिवरात्रि की पूजन सामग्री
दोस्तों शिवरात्रि के पूजा में कुछ एसी पूजन सामग्री होता है जिससे सामिल करना बहुत जरुरी होता है | जिससे शिव जी काफी प्रसन्न होते है | इससे न सिर्फ शिव जी की पूजा पूरी बल्कि खुद खुश होकर आशीर्वाद भी देते है |
- शिव जी के स्नान करने के लिए ताम्बे का पात्र और ताम्बे का लोटा |
- शिव जी का जलाभिषेक में इस्तेमाल होने वाला वस्त्र
- चन्दन, आस्त्गंध, फल बेलपत्र (108), मिठाई, चावल, दीप, तेल, रुई, धुपबती जैसी पूजा की सामग्री में जरुर शामिल जरुर करे |
- पंचामृत बनाने के लिए जरुरी सामान |
- इसके साथ भोलेनाथ के पूजा में भस्म का प्रयोग जरुर करे |
- भागवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष का प्रयोग कर सकते है | रुद्राक्ष की उत्पति भागवान शिव की आशु से हुई है
- रुद्राक्ष घर में रखने से वतावरण शुद्ध होता है |
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पूजा का समय
महाशिवरात्रि पूजा करते समय किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए |
- भागवान शिव की आधी परिकरमा लगाई जाती है ध्यान रखे की शिव जी के बायीं तरफ से परिकर्मा शुरू करनी चाहिए |
- जहां से भागवान पे चढ़ाया जल बहार निकलता है | वहीं से वापस लौट जाना चाहिए |
- उसे कभी भी लाँघना नही चाहिए | अगर संभव हो तो मंदिर में जाकर पूजा कर सकते है और पंचामृत का जलाभिषेक जरुर करे |
- शिव पूजा में भूलकर भी तुलसी का प्रयोग न करे |
- जब आप जलाभिषेक कर रहे है तो ॐ नमः शिवाय का जाप जरुर करे |
- उस दिन व्रती को ध्यान रखना चाहिए की चावल गेहू और दाल का सेवन नही करना चाहिए |
- अगर आप निराहार व्रत नही रख सकते तो ड्राई फ्रूट्स और दूध का सेवन कर सकते है |
- शाम को कुटू के आटे से बनी हुई पूरी और सिंघरे के आते से बनी चीज का सेवन कर सकते है |
- इसके आलावा आलू और लौकी की हलवा खा सकते है |
- अगर आप संतान की प्राप्ति के लिए कर रहे है तो पति और पत्नी मिलकर दूध का अभिषेक कर सकते है |
- अगर आप तीर्थ के जल से अभिषेक करते है तो आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है |
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