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Sunday, February 21, 2021

Mahashivratri 2021 : महाशिवरात्रि से जुड़ी कथाये !

 

Mahashivratri 2021 : Date शुभ मुर्हूत, महत्व एवं महाशिवरात्रि से जुड़ी कथाये !



                                             शरांश 

  • महाशिवरात्रि से जुडी कथाये !
  • चार प्रहर  
  • शुभ मुर्हुत 
  • शुभ  तिथि 
  • महत्व  
  • महाशिवरात्रि  पूजन सामग्री 
  • महाशिवरात्रि पूजन विधि

                     महाशिवरात्रि से जुडी कथाये !

प्रथम प्रह का पूजन 
ईसानसंहिता के अनुसार  वाराणसी के वन में एक भील  रहता  था  उसका  नाम गुरुद्र  था  उसका कुतुम्ब बड़ा था अतः प्रतिदिन वन में जा कर मृगों को मरता  तथा  वही रहकर अनेक प्रकार की चोरिया करता था शुभ कारक महाशिवरात्रि के दिन माता पिता एवं बच्चो ने भूख से पिरित हो कर भोजन की याचना की तो वह तुरुन्त धनुष लेकर वन में घुमने लगा| संयोग से उसदिन कुछ भी शिकार नहीं मिला |सूर्यास्त हो गया वह सोचने लगा अब मै क्या करू कहा जाऊ माता पिता पत्नी बच्चो की क्या दशा होगी कुछ लेकर ही घर जाना चहिये वह सोचकर वह एक जलाशय के पास गया समीप पंहुचा शिकारकी की रात्रि में कोई न कोई जीव यहाँ पानी पिने अवश्य आया होगा उसे ही मर कर घर ले जाऊंगा| वह व्याध किनारे उपस्थित बेल वृक्ष था उस पर चढ़ गया पिने के लिए एक कमर में बंधी तुम्बी में जल भर कर बैठ गया भूख प्यास से व्याकुल शिकारी में शिकार की चिंता में बैठा रहा| रात्रि के प्रथम प्रहर में एक प्यासी  हिरनी वहा आई| उसको देखकर शिकारी को हर्ष हुआ वह तुरंत ही उसका वध करने के लिये उसने धनुष पर एक वान तैयार किया वैसा करते हुए उसके हाथ के धके  से थोरा जल एवं बेल पत्र टूटकर निचे गिर परे उस वृक्ष के निचे शिवलिंग विराज मान था और उस पर जल एवं बेल पत्र गिर परे उस जल एवं बेल पत्र से प्रथम प्रहर की शिव पूजा संपन्न हुआ


द्वितीय प्रहर का पूजन 

 खरखराहट से हिरनी की बच्ची भय से उपर की तरफ देखा व्याध बैठा था वह डर से व्याकुल हो गई और बोला की तुम क्या चाहते हो | बताओ व्याध ने कहा की मेरे कुतुम्ब के लोग भूखे है अतः तुमको मारकर उनकी भूख मिटाऊंगा | हिरनी बोली की मेरे मांस से तुम्हारे कुतुम्ब का भूख मिट जायेगा | इस अनर्थ करी शारीर के लिए | इससे अधिक महान पुण्य का कार्य भला और क्या हो सकता है | परन्तु इस समय मेरे सब बचे आश्रम में बाट ज़ोह रहे होंगे | मै उन्हें अपने बहन के और स्वामी सौफ कर लौट आऊंगा | हिरनी के शपथ खाने पर व्याध ने उसे जाने दिया दुसरे प्रहर में उसी हिरनी की बहन उसी की राह देखती और |ढूढती हुई जल पिने वहां आई |व्याध ने उसे देखकर वान से तरकश को खीचा | ऐसा करते समय पुनः पहले जैसा जल एवं बेलपत्र शिवलिंग पर गिर पड़े | इस प्रकार द्वितीय प्रहर की पूजा संपन्न हुआ |

 तृतीय प्रहर का पूजन 

   मृगी ने पूछा की व्याध यह क्या करते हो | व्याध ने पहले हिसा ही उत्तर दिया | मृग ने कहा की मेरे घर में छोटे- छोटे बच्चे है. अतः मै अपने बच्चो को अपने स्वामी के पास सौफ कर तुम्हारे पास लौट आऊंगा मै वचन देती हूँ | वेयाध ने उसे भीं जाने दिया | व्याध का दूसरा प्रहर भी जागते-जागते बीत गया | इतने में ही पुष्टहिरण घूमता हुआ आया व्याध ने वान चलाया और पुनः थोड़ा जल और बेलपत्र गिरे पड़े तब तीसरे प्रहर का पूजा संपन्न हुआ |

चौथी प्रहर का पूजन 

मृग ने आवाज से चौक गया और व्याध के ओर देखा और पूछा क्या करते हो व्याध ने कहा तुम्हारा वध करूँगा | हिरण ने कहा मेरे बच्चो भूखे है | मेरे उन्हें उनके माता को सौप कर शीघ्र लौट आऊंगा व्याध बोला जो जो यहां आये | सब तुम्हारे तरह ही आते और प्रतिज्ञा करे और चले गये | परन्तु अभी तक नही लौटे शपथ खाने पर उसे भी छोड़ दिया | मृग और मृगया अपने स्थान पर मिले प्रतिज्ञा बद्ध थे | अतः तीनों जाने के लिए लिए हट करने लगे | अतः उन्होंने बच्चो को अपने पड़ोसियों को सौप दिया और तीनों चल दिया और उन्हें जाते हुए देख बच्चे भी पीछे-पीछे भाग चले आये | उन सब को साथ आता देख व्याध अति प्रसन्न हुए | उसने तरकश से वान खीचा जिसे पुनः जल एवं बेलपत्र शिवलिंग पर गिर पड़े | इस प्रकार चौथे प्रहर की पूजा संपन्न हो गई |



     रात्रि भर शिकार के चिंता में व्याध निर्जल भोजन रहित जागरण करता रहा शिव जी का रंच मात्र भी चिंतन नही किया | चारो प्रहर की पूजा अनजाने में स्वतः ही हो गया | उस दिन महाशिवरात्रि थी जिसके प्रभाव से व्याध से सम्पूर्ण पाप तत्काल भस्म हो गया इतने में ही मृग एवं मृगियो ने कहा | व्याध सिरोमणि शीघ्र आकर हमारे शरीरों की सार्थक करे | व्याध को बड़ा विषमय हुआ ये मृग ज्ञानहीन होने पर भी धन्य है, परोपकारी है और प्रतिपालक है मै मनुष्य होकर भी जीवन भर हिंसा हत्या एवं पाप कर अपने कुतुम्ब का पालन करता रहा मैंने जिव हत्या कर उदर पूर्ति की अतः मेरी जीवन को धिकार है व्याध ने वान को रोक लिया |और कहा श्रेठ मृगों तुम सब जाओ तुम्हारा जीवन धन्य है | ऐसा कहने पर तुरन्त भागवान शंकर लिंग से प्रकट होकर और उसके शारीर को स्पर्स कर प्रेम से कहा वरदान मांगो मैंने सब कुछ पा लिया यह कहते हुए व्याध उनके चरणों में गिर पड़ा | शिवजी ने प्रसन्न हो कर उसका गूह नम रख दिया | वरदान दिया की भगवन राम एक दिन अवश्य तुम्हारे घर आयेंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे | तुम मोक्ष प्राप्त करोगे वही ब्याध रोंग्वर पुर में गूह बना जिसमे भागवान राम का अतित किया | वे सब मृग भागवान शंकर का दर्शन कर मृग योनी से मुक्त हो गया तथा श्राप से मुक्त हो गये | विमान से दिव्य धाम को चले गये तब से अभूर्त पर्वत पर भागवान शिव व्यधिस्वर से प्रसिद्ध हुआ | दर्शन पूजन करने पर तत्काल मोक्ष प्रदान करते है | यह महाशिवरात्रि व्रत व्रतराज के नाम से विख्यात है | यह शिवरात्रि यमराज की शासन को मिटाने वाली है एवं शिवलोक को देने वाली है | शास्त्रोक्त विधि से इनका जागरण सहित उपवास करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी शिवरात्रि शिवरात्रि के सामान पाप एवं भय को मिटाने वाला दूसरा कोई व्रत नही है | इसके करने मात्र से सभी पापों का क्षय होता है |



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