Basant Panchami 2021 : Date, Time, Mahatwa Murhut / बसंत पंचमी 2021 डेट, टाइम , महत्व एव शुभ मुर्हुत
सरस्वती माता की पूजा का महत्व
ज्ञान विद्या और संगीत की देवी है | माँ सरस्वती स्वेत कपड़ो में एक दम उज्व्व्ल | इनका वाहन हंस है और इनके हाथो में वीणा वेद कमल और माला होती है दुर्गा के नौ अवतारो में से बेहद अहम् अवतार में से एक है माँ सरस्वती का ही माना जाता है नौरात्रो में कई लोग सरस्वती माँ की पूजा दूत्य की तिथि में करते है| और कई लोग पंचमी को सरस्वती खट्स स्थापना की जाती है और नौ मी के दिन सरस्वती बिसर्जन की जाता है |
लेकिन
सरस्वती माता की असली पूजा तो पंचमी को ही होती है . क्योकि माँ सरस्वती का जनम
वसंत पंचमी के दिन ही हुआ था | कहा जाता है की वसंत पंचमी के दिन ही सृष्ठी जीवित
हुई थी और एक स्वर गुंजायमान हुआ थ जिसके बाद ये
सृष्टी अपने इस रूप में आई और जब इस उद्देश्य से verma माँ सरस्वती की रचना
की थी| जिस तरह हमे एक नये जन्मे बचे का खुशिया मानते है उसी प्रकार मौसम की इस शुरुआत
के हिन्दू परम्परा में बहुत महत्वपूर्ण मन जाता है | ये दिन और भी महत्वपूर्ण हो
जाता है जब इस दिन के साथ जुड़ता है माँ सरस्वती की पूजा का योग जिसके भी मन में ज्ञान
का इच्छा है | वो माँ सरस्वती की आशीर्वाद के बिना आगे नही बढ़ सकता है |
अंधकार जीवन से इंसान को सही रह पर ले जाना माँ सरस्वती के
आशीर्वाद से ही संभव हो पता है | सरस्वती माँ कमल पर बैठती है. जिसके पीछे बहुत
बड़ा सन्देश मिलता है :-
“ जैसे कीचड़ में कमल खिलता है और बिना दाग के रहता है | वैसे ही माँ अपनी बच्चों को ये सिखाती है | की कितनी भी बुरी हालत क्यों न हो अगर अपने चित पर नियंत्रण रख अपने लक्ष्य के तरफ आगे बढ़ेंगे तो कीचड़ में भी सफलता ही मिलेंगे ’’
ये उत्सव या पूजा माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को की
जाती है | ये पर्व वास्तव में ऋतू राज पक्ष की आगमन की सुचना देता है | इस दिन से
खुशिया का माहौल पैदा होता है | खेतो की हरियाली पेड़-पौधे की महक और महिलाओ में
सौन्दर्य का प्रतीक होता है वसंत पंचमी का ये त्यौहार |
सरस्वती पूजा के लिए जिन सामग्रियों की जरुरत होती है जो इस प्रकार है |
हल्दी, कपूर, अक्षत, सुपारी, स्वेत फूलो की माला, चन्दन,
रक्षासूत्र, जल,चौकी, माता के सजाने के लिए चुन्दरी, कुमकुम, आम या पान के पता, जल
का पात्र, घी का दीपक, कुछ मिठाई, कुछ फल, नारियल, पूजा की थाली,धुप, सफ़ेद छोटे
फुल,दक्षिणा के लिए कुछ रूपये, कलश और सरस्वती माता की मूर्ति या तस्वीर |
माँ सरस्वती की पूजन विधि :-
·
पूजा के स्थान पर सुध जल या गंगाजल का छिडकाव
करे |
·
पूजा की जगह चौकी पर सफ़ेद कपड़े बिछाएं और कपड़े
के बिच में अक्षत रखें |
·
रक्षासूत्र से बंधे जल से भरे कलश को उस पर रखे|
·
कलश में अक्षत, सुपारी और हल्दी डाले फिर आम या
पान के पते उस में डाले और रक्षासूत्र से बंधे नारियल को कलश के उपर रखें|
·
एक घी का दिया कलश के दाहिने ओर रखें |
·
बाकि का सभी पूजा सामग्री चौकी की पास रखे |
·
सबसे पहले आसन ग्रहण कर ले और कपड़े या आचल को
अपने सर पे रखें |
·
पहले बाये हाथ से जल ले और दायें हाथ में डालकर
दोनों हाथों को शुद्ध कर ले |
·
फिर जल को ले और “ॐ सरस्वती देवः नम:” का उचारण
करके 3 बार जल पियें |
·
इसके बाद जल से हाथ धो ले अब तिलक लगाये और घी
का दिया जला दे |
·
इसके बाद अक्षत और फूल लेकर संकल्प ले की मै
आपना नाम शुद्ध कर्म धर्म से आपका पूजा करने जा रहा हूँ इस पूजा का फल मुझे मेरा
मनोकामना के अनुशार मिले. ये बोलकर फूल और अक्षत माता की चरणों में छोड़ डे |
·
अब माता की मूर्ति पर जल का फिर हल्दी, कुमकुम और अक्षत का छिडकाव करे |
·
उसके बाद छोटे फुल चढ़ाये फिर माता की कलश को
शफेद चुनरी चढ़ाये और धुप दिखाए |
·
फल मिढाई प्रसाद माता को दिखा करके चौकी के पास
रख दे|
इसके बाद हाथो में फुल अक्षत लेकर माता से प्रार्थना करे की
इस पूजन विधि में अगर हमसे कोई गलती हुई हो तो हमे क्षमा करे और हमे बुद्धि विद्या
प्रदान करे | ॐ सरस्वती देवाय नम: का उचारण करते हुए फुल और अक्षत माता की चरणों
में छोड़ दे |
यु तो
सरस्वती पूजा कोई भी कर सकता है| किन्तु ज्यदातर विद्यार्थी सामूहिक तौर पर या
अकेले स्कुल कॉलेज या घर पर करते है विशेष कर विद्यार्थी के लिए ये पूजा बहुत
महत्वपूर्ण मानी जाती है पढने वाले विद्यार्थी किताबो का भी पूजा करते है
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