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Sunday, September 2, 2018

RELIGION.... तो इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। विस्तार से जानें

https://bit.ly/2MH2Smx.... तो इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। विस्तार से जानें

श्री कृष्ण जन्माष्टमी, को भारत  नहीं बल्कि कई विदेशो में भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण  के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी को मनाया जाता है। माना जाता है भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अर्धरात्रि यानि ठीक 12 बजे भगवान् श्री कृष्ण का जन्म हुआ था जो भगवान विष्णु का ही अवतार थे।

नारायण के इस मुख्य उद्देश्य मथुरा के राजा कंस के बढ़ते अत्याचार को समाप्त करके उसका विनाश करना था। जिसके लिए उन्होंने कंस की बहन देवकी की कोख से जन्म लिया। बहुत से भक्त इस दिन व्रत-उपवास भी रखते है,जिससे अर्ध रात्रि तक यानि 12 बजे कृष्ण जन्म तक उपवास रखना होता है।

जन्माष्टमी का उत्सव 

मथुरा और उससे सटे कई क्षेत्रों में इस पर्व को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता हैं। इस पर्व पर बड़े-बड़े मंदिरो में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं। उत्सव के दौरान देश विदेश से लाखो भक्तगण मंदिरो में आते है। सिर्फ मथुरा में ही नहीं अपितु देश के कई हिस्सों में भी इस एक नन्हे बालक के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरो में विशेष झंकियो का आयोजन किया जाता है, भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और बहुत से मंदिरो में रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्मआष्ट्मी के पावन पर्व पर कान्हा की मनमोहक झाकियां देखने के लिए लोग देश विदेश से मथुरा आते है।


क्यों मनाया जाता है जन्मआष्ट्मी का त्यौहार ?

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कंस एक बहुत ही दुराचारी और अत्याचारी राजा था जो अपनी प्रजा को बहुत पीड़ा दिया करता था। प्रजा भी उसे खास पसंद नहीं करती थी। कंस की बहन थी जिसका नाम देवकी था, कंस देवकी से बहुत स्नेह करता था। विवाह योग्य उम्र होने पर कंस ने देवकी की विवाह यदुवंशी राजकुमार वशुदेव से करवा दिया। विवाह के पश्च्ताप वे दोनों घर ही आ रहे थे की अचानक आकाशवाणी हुई,जिसमे कहा गया की देवकी की आठवीं संतान ही कंस का वध करेगी। ऐसा सुनकर कंस ने बहन को मारने के लिए तलवार निकाल ली। वशुदेव ने उसे शांत किया और वादा किया की वे अपने सारे पुत्र उसे सौप दिया करेंगे।

सुरक्षा के तौर पर उसने दोनों को कारगर में बंद कर दिया। और वचनानुसार जब देवकी की पहली संतान काउसने  जन्म हुआ तो उन्होंने उसे सौप दिया जिसके बाद उसने बड़ी ही कुरुरता से उसकी हत्या कर दी। कंस देवकी के छह बेटों को जन्म लेते ही मार डाला। सातवें गर्भ में श्रीहरि के अंसरूप श्रीशेष (अनंत ) ने प्रवेश किया रोहणी के उदर में रखवा दिया। देवकी का गर्वपात हो गया।

जिसके बाद आठवे पुत्र के रूप में श्री हरी ने स्वयं देवकी के उदर से पूर्णावतार लिया तथा योग्यमय को यशोदा से जन्म लेने का  आदेश दिया। श्री कृष्ण जन्म लेकर,देवकी तथा वशुदेव को अपने विराट रूप के दर्शन देकर,पुनः एक साधारण बालक बन गए। यह अवतार उन्होंने भद्र पद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में लिया था तभी से इन दिन को कृष्ण जन्मआष्ट्मी के रूप में मनाया जाने लगा।

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                                           कृष्ण जन्मआष्ट्मी 2018 
                2018 में श्री कृष्ण जन्मआष्ट्मी 2nd सितंबर 2018               
                          कृष्ण जन्मआष्ट्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 
              जन्मआष्ट्मी के दिन निशिता पूजा का समय =23:43+तक 
                        
                        जन्मआष्ट्मी में मध्यरात्रि का क्षण =24:20+

                    3rd सितंबर को,पारण का समय =20:05 के बाद 

                     पारण के दिन अष्ट्मी तिथि के समाप्त होने के समय =19:19
                              पारण के दिन रोहणी नक्षत्र के समाप्त होने का समय =20:05

                                  वैष्णव का जन्मआष्ट्मी      
                    २०१८ वैष्णव कृष्ण जन्मआष्ट्मी, 3 सितंबर 2018 

वैष्णव जन्मआष्ट्मी के लिए अगले दिन का पारण का समय =06:04 (सूर्योदय के बाद ) पारण के दिन अष्ट्मी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएँगे

                                      दही हांडी का कार्यक्रम -3rd ,सितम्बतर को मनाया जायेगा। 
                             
                                   धन्यवाद
           

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