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Friday, August 10, 2018

सावन में भोलेबाबा को खुश करने के लिए महिलाएं करती हैं ये सोलह श्रृंगार !


          सावन में भोलेबाबा को खुश करने के लिए महिलाएं करती हैं ये सोलह श्रृंगार !

डमरू धारण करने वाले शिव का पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है  जबकि सर्पधारी शिव की पूजा करने से राजनैतिक सफलता मिलना तय माना जाता है। मान्यताओं की मानें तो रूद्राक्ष धारण करने वाले भोले बाबा की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होकर इच्छा पूरी करते हैं तो कंमडधारी शिव की पूजा करने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है



आपने अक्सर घर की बड़ी बुर्जुग महिलाओं को घर की बहुओं और लड़कियों को व्रत, त्योहार पर श्रृंगार करने की सलाह देते हुए सुना होगा। पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों कहा जाता है। बता दें, सोलह शृंगार घर मे सुख और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। ऋग्वेद में भी सोलह शृंगार का जिक्र किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं भाग्य को भी बढ़ाता है। महिलाएं शिव के प्रिय महीने सावन में भोले शंकर को खुश करने के लिए भी ये शृंगार करती हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन-कौन से हैं ये शृंगार। 





बिंदी
दोनों भौंहों के बीच कुमकुम से लगाई जाने वाली बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है






सिंदूर
ज्यादातर सभी जगह सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है। विवाह के समय पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर उसे जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।



काजल
चेहरे की सबसे खूबसूरत चीज और मन का आइना होती हैं आपकी आंखें। जिनका श्रृंगार होता है काजल। इसे महिलाएं अपनी आंखों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए लगाती हैं। काजल हर खूबसूरत महिला को बुरी नजर से भी बचाए रखता है।

मेहंदी
मेहंदी के बिना हर सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के समय दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली हर महिला अपने पैरों और हाथों पर मेहंदी जरूर रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही अधिक प्रेम करता है।




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                                शादी का जोड़ा

हर महिला के लिए अपना शादी का जोड़ा बेहद खास होता है। शादी के समय पहना लाल दुल्हन का जोड़ा वो हमेशा संभाल कर रखती है। महिलाओं के लिए उनका श्रृंगार इस जोड़े के बिना पूरा नहीं माना जाता है।
  

गजरा
दुल्हन के बालों में लगा सुगंधित फूलों का गजरा उसकी कूबसूरती में चार चांद लगा देता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां रोजाना अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती हैं। 

                                           मांग टीका
माथे के बीचों-बीच पहने जाने वाला यह आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर हर लड़की की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। ऐसा माना जाता है कि नववधू को मांग टीका सिर के बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है ताकि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले। 

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                                                                नथ
सुहागिन स्त्रियों के लिए नाक में आभूषण पहनना अनिर्वाय माना जाता है। आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी नोजपिन पहनती हैं, जिसे लौंग कहा जाता है।

ईयरिंग्स
कान में पहने जाने वाला यह आभूषण कई तरह के सुंदर डिजाइन में उपलब्ध होता है। शादी के बाद स्त्रियां कान में ईयरिंग्स जरूर पहनती हैं। मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए।



मंगल सूत्र

गले में हार पहनने के पीछे सेहत से जुड़े कई फायदे होते हैं। गले के आस-पास कुछ ऐसे दबाव बिंदु होते हैं जिससे शरीर को बहुत लाभ पहुंचता है। भारत में वर द्वारा वधू के गले में मंगल सूत्र पहनाने की रस्म काफी अहम होती है। गले में पहना जाने वाला ये मंगल सूत्र पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनवद्धता का प्रतीक माना जाता है। 
 
बाजूबंद
कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा जाता है। पहले सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना जाता था। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती।

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